Sarvlekh is a digital hub of stories, short stories, science, Poetry, India culture & history, spiritual & mythological and much more interesting facts. You will find here a lot of exciting information, facts & knowledge as per your interest.

क्या है? अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तममास

 

Adhikmas, Malamas, Purushottammas,अधिकमास, मलमास, पुरुषोत्तम मास
क्या है? अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तममास

क्या है? अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तममास

 

अभी हाल ही में, मुझे पता चला के आज से अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तममास  की शुरुवात हुई है। लेकिन ये क्या है और क्यों है। इसके बारे में मुझे नहीं पता था। साथ ही इसका नाम भी साधारण महीनों कि तरह नहीं है, जैसे चैत्र, बैसाख या बाकी कोई महीना जो हम भारतीय परंपरा के अनुसार जानते हैं। तो मेरे अंदर इसके बारे में जानने की तीव्र इच्छा हुई। जब मैंने इसके बारे में पढ़ा और जाना तो मुझे भारतीय होने की साजिश हुई और इसमें छिपे गणितीय ज्ञान से आश्चर्यचकित भी हुआ। हमारी पूर्वज को आकाशीय घटनाओं की कितनी सटीक जानकारी थी। आये और इसके बारे में जाने! कि अधिकमास क्या है।

 

जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय पंचांग पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य तीनों ही ग्रहों की गति पर निर्धारित है। साधाणतया पृथ्वी के अपनी धुरी पर लिए एक पूर्ण चक्र को एक पूर्ण दिन माना जाता है। और चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर के लिए एक पूर्ण चक्र को एक मास या महीना कहा जाता है। इसी तरह सूर्य के चारों ओर के लिए पृथ्वी के एक चक्र को एक वर्ष माना जाता है। इसी मूलभूत सिद्धांत पर भारतीय पंचांग निर्धारित होता है।

 

अब आप कहेंगे इसमें कोई नई बात नहीं है। ये सबको पता है। बिल्कुल ठीक है, यहाँ तक सभी को पता है। लेकिन इसके आगे बहुत कम लोग ही जानते हैं।

 

वैज्ञानिक महत्व:

अब हम ये तो जानते ही है की गणमान्य भाषा में किसी भी चक्र में से ३६० अंश तक के कोण होते है। जिसे ३० अंश के १२ भागों में विभाजित किया जा सकता है। भारतीय पंचांग में इन्ही १२ भागों को १२ महीने, १२ राशियाँ और १२ नक्षत्रों में भी बाँटा है। अभी हम राशियों या नक्षत्रों की बात नहीं करते हैं। लेकिन अंक १२ के माध्यम से हम अधिकमास के गणितीय सिद्धांत को समझने का प्रयास करेंगे।

 

जैसा की हम जानते हैं कि चन्द्रमाँ, लगभग २९. में दिनों में पृथ्वी का एक सम्पूर्ण चक्कर लगता है। जिसे हम एक पूर्ण चंद्र महीने की तरह जानते है।  इसका अर्थ यह हुआ के चन्द्रमा का एक वर्ष . * १२ = ३५४ दिनों का होता है। जबकि सूर्य के आधार पर पृथ्वी का एक वर्ष लगभग ३६५ दिन घण्टे का होता है। अब अगर उनके मध्य का अंतर देखें तो ये एक वर्ष में लगभग ११.२५ दिनों का होता है। और प्रत्येक . वर्ष में इन अंतर . दिनों का हो जाता है जो एक पूर्ण चंद्र मास के बराबर है। इसी तरह सूर्य पंचांग और चंद्र पंचांग में सामन्जस्य बिठाने के लिए इस अधिक मास को पंचांग में जोड़ा जाता है। जिससे दोनों ही पंचांग संचितित हो जाते हैं। अब आपको जानकर आश्चर्य हो रहा होगा की जब दुनिया अंक तालिका भी ठीक से नहीं जानती थी उससे भी कई हजार साल पहले से हम इतने सटीक गणितीय पंचांग का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में करते रहे है।

 

आध्यात्मिक महत्व:

अब इसके आध्यात्मिक महत्व को भी समझते हैं। आध्यात्मिक जगत में इस महीने को मलमास के नाम से भी जाना जाता है। अब यहाँ पर परेशानी यह है कि हमारे समाज में मन्दबुद्धिजीवियों की अधिकता बहुत है। जो किसी शब्द के भाव को समझकर उसके शाब्दिक अर्थ को पकड़ लेता है और दुष्प्रचार में लग जाता है। यहाँ इस महीनें का नाम मलमास रखने का तात्पर्य यह था कि कम से कम प्रत्येक . वर्षों में मनुष्य को महीने अपने अंदर के मल (गंदिगी) जैसे कि लोभ, क्रोध, ईर्ष्या द्वेष भाव आदि से त्यागने पर काम करना चाहिए। और इसी भाव से सृष्टि के कारण, भगवान नारायण के पुरुषोत्तम रूप का ध्यान करना चाहिए और उन्हें गुणों को धारण करने का प्रयास करना चाहिए। इसी कारण इसे पुरुषोत्तम मास के रूप में भी जाना जाता है।

 

मुझे आशा है कि ऊपर दी गई जानकारी के बाद आप अपने भारतीय ज्ञान वैज्ञानिक   आध्यात्मिक, दोनों पर ही सहमत होंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो आप इसे अपने सभी दोस्तों और परिवारों के साथ अवश्य साझा करें।

 

धन्यवाद।

 


No comments

Thanks for visiting us. Please share your thoughts.

Powered by Blogger.
/* Breaking News Code */