नैतिक कहानी | जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है
जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है |
एक बार की बात है। कुछ लोग एक पानी के जहाज़़ पर कुछ दिनों की सैर पर गए। कई दिनों तक समुद्र में घूमते हुए खाने पीने नाच गाने के साथ मनोरंजन करते हुए आनंद से समय बिता रहे थे। एक रात अचानक समुद्र में तूफान आया और वो पानी का जहाज़ डूबने लगा। तो सभी लोग जीवन नौका में सवार हो कर अपने अपने जीवन की रक्षा करने में लग गए। और सभी नौकाएं उस जहाज़ से दूर निकलने लगी। तभी एक व्यक्ति उस जहाज़ में फसा रह गया। उसे कोई नौका नही मिली तो वो एक रबर के ट्यूब के सहारे ही पानी मे कूद गया। पर तूफान इतना तेज था कि उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो किधर जा रहा है। उसे लगा के अब उसका जीवन समाप्त ही होने वाला है। वो इतना घबरा गया कि वो बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो उसने देखा कि वो किसी द्वीप के किनारे पहुँच गया है। वो उठा और आस पास देखा। उसे वहां कुछ भी दिखाई नही दिया। यह एक सुनसान द्वीप था। शायद यहां कोई कभी रहता ही नही था। वो बहुत उदास व परेशान हो गया। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे। उसे उसके साथी व वो जहाज़ भी नही दिख रहा था जिसमे वो सवार था। उसे कुछ समझ नही आ रहा था। तो वो एक पेड़ की छांव में बैठ गया और सोचने लगा। तभी उसे याद आया कि अगर वो आग लगा कर धुआँ करेगा तो शायद कोई उसकी मदद के लिए वहां आ जाये। उसने आस पास जा के देखा पर उसे कोई सूखी लकड़ी या घास नही मिली। फिर उसने अपनी कमीज़ उतार कर उसमें आग लगाने की कोशिश करी। ओर कुछ देर में उसे सफलता मिली और आग लगी। पर उससे धुंआ बहुत कम हुआ तो उसने अपनी पतलून भी जला दी। अब भी धुंआ काम था। उसने सारे कपड़े जला दिए। पर धुंआ इतना नही हुआ कोई उसे देख पता और आग भी बुझ गई। वो ऊपर की तरफ देख कर भगवान को उसकी इस हालत के लिए कोसने लगा।
अब उसे यकीन हो गया कि वो यहां फंस चुके है। कुछ देर सोचने के बाद उसने द्वीप के अंदर जाकर रहने के लिए संसाधन जमा करने का निर्णय लिया। कुछ देर की खोज के बाद उसे एक अमरूद का और आम का पेड़ दिखा। उसने उसमे से कुछ फल तोड़े और किनारे पर वापस आ गया। द्वीप के किनारे नारियल के पेड़ के नीचे कुछ टूटे नारियल भी मिल गए उसे। उसने जैसे तैसे उन फलो से अपनी भूख मिटाई। अब शाम हो चली थी। परन्तु अंधरे के डर से उसे नींद नही आ रही थी। और वो पूरी रात जागता रहा। सुबह होते ही उसने अपने लिए सुरक्षा की व्यवस्था करने की सोची। वो वापस जंगल की ओर गया और वहां से बोहोत सारी लकड़ियां उठा लाया उसमे कुछ हरी ओर कुछ सूखी हुई थी। उसने फिर अपने लिए खाने की व्यवस्था भी की। अब वो मान चुका था कि उसे अब यही रहना है। शाम होते ही उसने सूखी लकड़ियों की सहायता से आग लगाई। जिससे कुछ प्रकाश हुआ साथ ही उसे रात की ठंड से बचने के लिए गर्मी भी मिली।
एक और रात निकलने के बाद उसने सोचा कि क्यों न वो अपने रहने के लिए एक झोपड़ी बना ले। वो फिर जंगल गया और लकड़ी इक्कठा करने लगा। अब वह रोज यही करने लगा। कुछ लकड़ी जलाने के लिए ओर कुछ झोपड़ी बनाने के लिए लाने लगा। कई दिनों की मेहनत के बाद उसने अपना सर ढकने के लिए एक छत की व्यवस्था कर लो थी। साथ ही साथ वहां गर्मी भी बढ़ने लगी थी। धीरे धीरे उसने अपने रहने के लिए एक साधारण, बड़ी व अच्छी झोपड़ी बना ली। और उसमे रहने लगा। रोज की तरह वो एक दिन जंगल गया और खाने के लिए फलो को इक्कठा कर रहा था। अचानक तेज हवा चलने लगी। उसे लगा आंधी या तूफान आने वाला है। वो वहां से वापस अपनी झोपड़ी की तरफ चल दिया।
हवा इतनी तेज थी के पेड़ आपस मे टकरा रहे थे। बड़ी मुश्किल से वो जंगल से बाहर निकल पाया। तभी उसने देखा कि उसके झोपड़ी के पास के दो पेड़ो के आपसी टकराव की वजह से उनके नीचे की सूखी झड़ी में आग लग गई थी। वो तेज़ी से अपनी झोपड़ी की तरफ जाने लगा। लेकिन जब तक वो वहां पहुँच पाता तब तक उस झोपड़ी में आग लग चुकी थी। उसका दिल टूट गया। कई महीनों की उसकी मेहनत उसके सामने जल रही थी। वो जोर जोर से रोने लगा। और भगवान को कोसने लगा। वह बोला पहले मुझे इस निर्जन द्वीप पर फसा दिया। और अब मेरी इतने महीनों की मेहनत से बने हुए घर मे आग लगा दी। मुझे मरना की चाहते हो तो मार क्यों नही देते ऐसे बार बार मुझे दुखी करने और परेशान करने में क्या लाभ है।
वह बहुत ज्यादा दुखी था और बहुत रोया भी। रोते रोते वो सो गया। कुछ देर बाद उसे हिलने का एहसास हुआ और कुछ आवाज़ सुनाई दी। उसने आंखे खोल कर देखा तो कुछ लोग वहां आये हुए थे और उसे उठा कर ले जा रहे थे। उसने ओर ध्यान से देखा तो वो लोग नेवी से थे। और उसे शिप पर ले जाने के लिए आये थे। वो लोग उसे शिप पर ले गए और डॉक्टर ने उसका इलाज किया।
कुछ देर बाद उसकी स्थिति सामान्य हुई तो सबने उससे पूछा कि तुम उस निर्जन द्वीप पर कैसे पहुँचे और क्या हुआ तुम्हारे साथ। उसने सारी कहानी बताई। फिर उसने पूछा आप लोगो को मेरे वहां होने के बारे में कैसे पता चला। तो उन्होंने बताया कि जब हम अपने रास्ते से गुजर रहे थे तब हमने इस दिशा में धुआँ उठता देखा। हमे पता है यहां कोई नही रहता पर उस धुंए की वजह से हमने यहां आकर जांच करने का निर्णय लिया। यहां आकर हमने देखा तुम बेहोश पड़े थे। और हम तुम्हे यहां ले आये। फिर उसने बोला कि कुछ दिनों पहले जो जहाज़ यहां डूब था वो सभी लोग तो घर पहुँच भी गए होंगे, आराम से अपने परिवारों के साथ रह रहे होंगे। मेरी ही किस्मत खराब थी जो मैं महीनों से यहाँ सड़ रहा था। तभी उस नेवी के अफसर ने बोला शायद तुम्हे पता नही पर उस जहाज़ में सवार कोई भी यात्री अभी तक नही मिला है।
"तुम पहले हो।"
ये सुनते ही उसके होश उड़ गए। अब वो फिर से रोने लगा पर अब ये ख़ुशी के कारण था। और वह भगवान का हाथ जोड़ कर धन्यवाद करने लगा। क्योंकि अब उसे समझ आया कि अब तक जो भी हो रहा था वह सब उसके भले के लिए ही था।
इसीलिए कहा जाता है, जो होता है अच्छे के लिए होता है। बस उसे समझने की औऱ भगवान का धन्यवाद करने की जरूरत होती है।
सार :
कई बार वर्तमान में हो रही घटनाओं
या दुर्घटनाओं को हम अपना दुर्भाग्य मान कर भगवान या किसी अपने को उसका जिम्मेदार मान कर उन्हें कोसते है। परन्तु कुछ समय के बाद हम जब पीछे मुड़ कर उस घटना की वजह से हमारे जीवन में हुए परिवर्तन और वर्तमान स्थिति को देखते है तो समझ आता है कि जो हुआ अच्छा ही हुआ था।
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