नैतिक कहानी | बिल्ली और बंदर
दोनों साथ साथ खाना ढूंढने लगे। कई घरों में जाने के बाद भी उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला। दोनों बहुत निराश होने लगे। तब एक बिल्ली ने कहा बस ये अंतिम घर बचा है। अगर यहाँ भी खाना नहीं मिला तो आज हमें फिर भूखा सोना पड़ेगा।और फिर वो दोनों उस घर में गए। पर आज किस्मत अच्छी थी। वहां उनमे से एक बिल्ली को एक रोटी दिखी। पर रोटी कुछ ऊंचाई पर रखी थी।
परन्तु दोनों मिलकर जैसे तैसे उस रोटी को वहां से उतर लिया। और घर से निकल कर एक पेड़ के नीचे आ गए। तभी उनमें से एक बिल्ली को लालच आ गया। जैसे ही दूसरी बिल्ली ने कहा मेरी रोटी दो तो पहली ने मना कर दिया। और कहा ये रोटी मेरी है।
फिर क्या था, दोनों बिल्लियाँ आपस में लड़ गई। दोनों चिल्लाने लगी, ये रोटी मेरी है, ये रोटी मेरी है। पेड़ पर बैठा एक बंदर सब देख रहा था। उसके दिमाग में कुछ सूझा। नीचे आ कर वो बिल्लियों से बोला, “अरे! अरे! लड़ो मत।” तुम दोनों अच्छे दोस्त हो आपस में क्यों लड़ते हो। लाओ मैं इस रोटी को बराबर हिस्सों में बाँट देता हूँ, फिर तुम दोनों इसे खा लेना।
ऐसा कह कर उसने रोटी को दो हिस्सों में बाँट दिया। पर एक हिस्सा थोड़ा बड़ा हो गया। तो वो बोला, “अरे! ये एक हिस्सा बड़ा हो गया। इसे अभी बराबर करता हूँ।” ये कह कर उसने बड़े हिस्से में से थोड़ी रोटी खा ली। ऐसा करने से अब ये वाला हिस्सा छोटा हो गया। तो वो बोला, “अरे! अब ये वाला हिस्सा बड़ा हो गया। चलो अभी इसे बराबर करता हूँ।” फिर उसमे से थोड़ी रोटी खा ली। ऐसा करते करते वो पूरी रोटी खा गया।
बिल्लियाँ सब देख रही थी पर जब तक उन्हें कुछ समझ आता तब तक बंदर पूरी रोटी खा चुका था। रोटी खाते ही बंदर तुरंत ही पेड़ पर चढ़ा और छ्लांग लगा कर दूसरे पेड़ पर बैठ गया। अब बिल्लिओं को समझ आया के बंदर उनका झगड़ा सुलझाने नहीं बल्कि रोटी खाने आया था। बंदर ने उनके झगड़े का फायदा उठा कर अपना उल्लू सीधा किया। दोनों बिल्लियाँ इतनी मेहनत करने के बाद भी भूखी रह गई। और बहुत पछताने लगी।
कहानी का सार :
हम कई बार अपने छोटे से लालच में आ कर अपना बड़ा नुक्सान कर बैठते है। और अपने वर्षो की मेहनत को बर्बाद कर देते है। हमारे लालच और आपसी झगड़े का फायदा, कोई तीसरा उठा ले जाता है।
इस कहानी का वास्तविक जीवन में उदाहरण देखने के लिए आप कुछ देशों को बंदर की जगह पर रख के देख सकते है। उदाहरण के लिए : अमेरिका या चीन। अब आपको बहुत सारी बिल्लियाँ दिखने भी लगी होंगी।
कई बार कहानियों को हम किताबी बातें मन लेते हैं। परन्तु हम ये भूल जाते है कि किताबों में लिखी कहानियाँ किसी न किसी के वास्तविक अनुभवों से प्रेरित होती है।
हो सकता है वैसा अभी आपके साथ कुछ न हुआ हो। परन्तु भविष्य में आपके साथ वैसा कुछ नहीं होगा या नहीं हो सकता। ऐसा सोचना एक भूल मात्र ही होगा।
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