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नैतिक कहानी : आप क्या हैं? "एक आलू, एक अंडा, या कॉफी की फलियाँ"

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आप क्या हैं?

आप क्या हैं? "एक आलू, एक अंडा, या कॉफी की फलियाँ"


एक बार एक बेटी ने अपने पिता के पास आई और उनसे शिकायत की, कि उसका जीवन दयनीय हैं। और उसने यह समझ नहीं आ रहा है के वो क्या कर रही है और उसके साथ क्या हो रहा है। उसे हर समय संघर्ष करना पड़ता है और कुछ भी बिना संघर्ष उसके जीवन में कुछ नही होता। और अब वह संघर्ष से थक चुकी है।  ऐसा लग रहा है मानो कि एक समस्या हल होती है, तो एक और समस्या उसके जीवन में खड़ी हो जाती है। ऐसे तो उसका जीवन ख़राब ही है और ख़राब होता जा रहा है। 


उसका पिता, जो की एक पेशेवर रसोइया था, उसे अपने साथ रसोई घर में ले आया। उसने पानी से तीन पतीले भरे और प्रत्येक को चूल्हे  पर रख दिया। 

जैसे ही तीनों पतीलों  में पानी उबलने लगा, तो उसने एक पतीले में आलू, दूसरे में अंडे और तीसरे बर्तन में कॉफी की फलियाँ दाल दी।और उन्हें उबालने दिया, उसने अपनी बेटी से कुछ नहीं कहा। 


बेटी अपने पिता को देख रही थी, साथ ही  दुखी मन और बेसब्री से उनके कुछ कहने का इंतजार कर रही थी, सोच रही थी कि वह क्या कर रहे है। 


कुछ देर बाद उसके पिता चूल्हे बंद कर देते है और सभी पतीलों को नीचे उतार लेते है। वे  आलू को बाहर निकाल कर एक कटोरे में रख देते है। अंडों को दूसरे कटोरे में रख देते है। तथा  कॉफी को बाहर निकाला और एक कप में दाल देते है। 

 

अब वो अपनी बेटी की ओर मुड़कर उससे पूछते है।


"बेटी, तुम क्या देखती हो?"


"आलू, अंडे और कॉफी," बेटी झट से जवाब देती है।


"ठीक से देखो" उन्होंने दोबारा कहा, "और आलू को छूने को बोला।" और पूछा पहले और इस आलू में क्या अन्तर है ? 


उसने वैसा ही किया और कहा कि वे अब नरम है, पहले सख्त थे।


फिर उन्होंने उसे एक अंडा लेने को कहा और उसे तोड़ने के लिए बोला। और वही सवाल उसे फिर से पूछा, पहले और अब इस अंडे में क्या अन्तर है?


बेटी ने बोला पहले ये अंदर से पानी जैसा था परन्तु अब ये पहले की अपेक्षा कठोर हो गया है। 


अंत में, उन्होंने उसे कॉफ़ी का प्याला देते हुए उसे कॉफ़ी पीने के लिए कहा। उस कॉफ़ी की सुगंध उसके चेहरे पर मुस्कान ले आई।


"इसका क्या मतलब है?" बेटी ने पिता से पूछा। 

 

तब उन्होंने बेटी को समझाया कि आलू, अंडे और कॉफी की फलियों को एक ही तरह की असामान्य एवं कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा (उबलते हुए पानी का)। परन्तु, प्रत्येक ने समान परिस्थिति में अलग-अलग प्रतिक्रिया दी। आलू कठोर दिख रहा था परन्तु उबलते पानी में, वह  नरम और कमजोर पड़ गया।


अंडा अन्दर से तरल व कमजोर था, उसके सुरक्षा के लिए बस एक पतली बाहरी परत थी जब तक उसे कठिन परिस्थितियों में नहीं डाला गया। उसके बाद अंडे की बाहरी परत तो वैसी ही रही परन्तु वह अंदर मजबूत हो गया।


और कॉफी की फलियों तो अद्वितीय निकले। उबलते पानी के संपर्क में आने के बाद, उनका भौतिक अस्तित्व तो समाप्त हो गया परन्तु उन्होंने परिस्थितिओं (पानी) को ही परिवर्तित कर दिया और उससे कुछ और उत्तम ही बना दिया।


"इनमे से तुम कौन सी हो?" अब उसने अपनी बेटी से पूछा।

 

“जब प्रतिकूलता आपके जीवन में प्रकट होती है, तो आप उस परिस्थिति में  कैसे प्रतिक्रिया देते हैं? यह आप पर निर्भर करता है। 


“तो आप क्या है ? एक आलू, एक अंडा, या कॉफी की फलियाँ”

 

कहानी का सार:


सभी के जीवन में परिस्थितियाँ अनुकूल या प्रतिकूल होती रहती हैं। महत्पूर्ण ये नहीं है कि परिस्थितियाँ कैसी है अपितु आप उन परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। क्योंकि वही आपके जीवन को उच्चतम या निम्नतम स्तर पर ले जाता है।



लेखक: विनीत कुमार सारस्वत


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