१. हमें क्या कोई पानी पर चढ़ायेगा
, हमें क्या कोई पानी पर चढ़ायेगा।
हम तो खुद वो दरिया हैं, जिसके पानी पर लोग चढ़ा करते है।
२. क्यों कतरे कतरे जमीं के लिए मरता है तू ,
जा देख खुद ने पूरा आसमां तेरे लिए छोड़ा है।
जो हाथ नहीं उसपे परेशा है तू
, क्यों आज को पूरा नहीं जीता तू।
४. पल पल तेरी चाह में घूमूँ
दर-बदर, मिले तू कही तो सही।
तू मिला मेरे दिल के आशियानें में, न पाया
तुझे दूर कहीं।
५. अगर तू सोचता है
के नामुमकिन है ये,
मुमकिन
है के तुमने ढंग से सोचा नहीं।
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